सिगरेट कंपनियों में सरकार की खतरनाक हिस्सेदारी: क्या सरकार धूम्रपान का समर्थन करती है?
हम अक्सर तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम और मुख्य रूप से सरकार द्वारा चलाए जा रहे 'धूम्रपान छोड़ो' अभियान हर जगह देखते हैं। फिर भी हम PSU और सरकार द्वारा चलाई जा रही संस्थाओं को ITC और VST इंडस्ट्रीज जैसे तंबाकू खिलाड़ियों में निवेश करते हुए देख रहे हैं। 2011 में वॉयस ऑफ टोबैको विक्टिम्स (Voice of Tobacco Victims) द्वारा राइट तो इनफार्मेशन एक्ट (RTI) से पता चला, कि भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) ने तंबाकू कंपनियों में लगभग 3,600 करोड़ रुपये का निवेश किया था। इस लेख में, हम तंबाकू निर्माता कंपनियों में सरकार और बीमा कंपनियों की हिस्सेदारी साझा करेंगे।
ITC में LIC और SUUTI की ~24% के करीब हिस्सेदारी
भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) देश की सबसे बड़ी जीवन बीमाकर्ता कंपनी है। इसमें सरकार की अधिकतर हिस्सेदारी है। इंडियन टोबैको कंपनी (ITC) में LIC की लगभग 16% हिस्सेदारी है। वास्तव में, सरकार समर्थित बीमा कंपनियां जैसे की जनरल इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (सूचीबद्ध), न्यू इंडिया एश्योरेंस (सूचीबद्ध), यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस और ओरिएंटल इंश्योरेंस ITC के सबसे बड़े निवेशक हैं, जिनकी संयुक्त शेयरहोल्डिंग ~ 21% है।
बीमा व्यवसाय में, सिगरेट पीने वाले व्यक्तियों से ज़्यादा प्रीमियम वसूलना एक सामान्य बात है। फिर भी, इन बीमा कंपनियों की एक कंपनी (ITC) में बड़ी हिस्सेदारी है, जिसका मुख्य रूप से सिगरेट का कारोबार है। LIC धूम्रपान करने वाले व्यक्तियों से प्रीमियम में ~40% तक ज़्यादा शुल्क लेती है।
SUUTI या स्पेसिफाइड अंडरटेकिंग ऑफ यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया, सरकार की निवेश शाखा, ITC में लगभग 8% हिस्सेदारी रखती है। अब गणित यह है, की ज़्यादा सिगरेट बिक्री यानी ITC के राजस्व में बढ़त अर्थात LIC के लिए प्रीमियम में बढ़त जो सीधे सरकार के टैक्स रेवेन्यू में वृद्धि करता है।
भारत सरकार विरूद्ध ब्रिटिश अमेरिकी तंबाकू (BAT)
ब्रिटिश अमेरिकन टोबैको (BAT) बिग टोबैको कार्टेल का एक हिस्सा है। बिग टोबैको छह ग्लोबल तंबाकू कंपनियों के लिए एक अम्ब्रेला टर्म है, जो दुनिया भर के हर देश में कम से कम एक सिगरेट कंपनी में बहुमत हिस्सेदारी रखती है। BAT की ITC में ~28% हिस्सेदारी और VST इंडस्ट्रीज (एक अन्य तंबाकू कंपनी) में ~32% हिस्सेदारी है।
सरकार शत्रुतापूर्ण अधिग्रहण की चिंताओं पर BAT के साथ विवाद में है। BAT वर्षों से एक निष्क्रिय शेयरधारक रहा है, जबकि ITC अन्य व्यवसायों जैसे FMCG, होटल, फाइनेंस, फैशन, IT, आदि में फला-फूला। अचानक, BAT ने ITC में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने का प्रयास किया। वित्तीय संस्थानों और सरकारी स्वामित्व वाली संस्थाओं जैसे अन्य प्रमुख शेयरधारकों ने BAT को ITC में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने से रोका। जबकि, ITC विभिन्न 'गैर-तंबाकू' वर्टिकल में फलने-फूलने का इरादा रखता है, ऐसे में सरकार विदेशी संस्था को इस व्यवसाय में प्रवेश करने से रोकना चाहती है जो टैक्स रेवेन्यू के जरिये सरकार की आमदनी बढ़ाती है।
सरकार के पास बड़े 'विनिवेश लक्ष्य' होने के बावजूद, उसने इन सभी वर्षों में ITC में विनिवेश से परहेज किया है। 2022 तक, सिगार, सिगरेट और तंबाकू के विकल्प के निर्माण में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) प्रतिबंधित है। सरकार के इस कदम का कारण नैतिक/नीति शास्त्र संबंधों के बजाय कूट-नीतिक/आर्थिक हो सकता है।
तंबाकू कंपनियों में सरकार की हिस्सेदारी पर आपके क्या विचार हैं? हमें मार्केटफीड ऐप के कमेंट सेक्शन में बताएं।
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