Ashok Leyland: विश्लेषण
इस लेख में हम, भारत के कमर्शियल वाहनों की दूसरी सबसे बड़ी निर्माता कंपनी अशोक लीलैंड लिमिटेड के बारे विस्तृत जानकारी जानेंगे।
अशोक लीलैंड लिमिटेड – कंपनी प्रोफाइल
भारत और दुनिया भर में अशोक लीलैंड लिमिटेड कमर्शियल वाहनों (सीवी) का निर्माण और बिक्री करता है। 1948 में स्थापित, यह कंपनी हिंदुजा समूह की प्रमुख कंपनीयो में से एक है। वे मुख्य रूप से डिस्ट्रिब्यूशन ट्रक, हल्के और छोटे कमर्शियल वाहन, ट्रैक्टर और माल वाहक का निर्माण करते हैं। कंपनी शहर, इंटरसिटी, स्कूल और कॉलेज, स्टाफ, पर्यटक और हवाई अड्डे के लिए शटल बसें भी प्रदान करती है। रक्षा वाहनों की उनकी श्रेणी में logistics, high mobility, armored, light tactical, tracked, and simulator vehicles शामिल हैं। अशोक लीलैंड डीजल जनरेटर, कृषि इंजन, औद्योगिक इंजन और समुद्री इंजन सहित पावर सोलूशन्स भी प्रदान करता है।
इसके अलावा, चेन्नई स्थित ऑटोमेकर मैनपावर सप्लाई सर्विसेज, एयर चार्टर सर्विसेज और ड्राइवर ट्रेनिंग सर्विसेज मुहैया कराता है। वे रिटेल स्टोर और स्पेयर पार्ट्स के लिए एक ई-कॉमर्स स्टोर LeyKart भी संचालित करते हैं। अशोक लीलैंड अपने ग्राहकों को अखिल भारतीय बिक्री और सेवा नेटवर्क के माध्यम से अखंडित सेवा प्रदान करता है।
कंपनी Ecomet, CHEETAH, Oyster Wide, SUNSHINE, Viking Diesel और STALLION ब्रांड के तहत अपने वाहनों की मार्केटिंग करता है। कंपनी की यूके स्थित सहायक स्विच मोबिलिटी(Switch Mobility) अगली पीढ़ी की इलेक्ट्रिक बसें भी बनाती है।
फैक्टशीट
- अशोक लीलैंड भारत में (टाटा मोटर्स के बाद) वाणिज्यिक वाहनों(commercial vehicles) का दूसरा सबसे बड़ा निर्माता है।
- यह दुनिया में बसों का चौथा सबसे बड़ा निर्माता और ट्रकों का 19वां सबसे बड़ा निर्माता है।
- कंपनी नौ मैन्युफैक्चरिंग प्लांट चलाती है उसमें से 7 भारत में, 1 संयुक्त अरब अमीरात में और 1 यूनाइटेड किंगडम में है।
- अशोक लीलैंड की उपस्थिति 50 देशों में है और यह पूरी तरह से इंटीग्रेटेड कमर्शियल वाहनों की मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों में से एक है।
- ऑटोमेकर ने 2016 में भारत की पहली इलेक्ट्रिक बस लॉन्च की थी।
वित्तीय प्रदर्शन
दुर्भाग्य से, अशोक लीलैंड के राजस्व और मुनाफे में गिरावट आई है। कंपनी ने वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए बिक्री राजस्व में 11.4 फीसदी सालाना (YoY) की गिरावट के साथ 19,454 करोड़ रुपये की गिरावट दर्ज की। इसने वित्त वर्ष 2021 में 165.23 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा दर्ज किया, जबकि वित्त वर्ष 2020 में 336.67 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ था। अशोक लीलैंड की बिक्री की मात्रा और समग्र प्रदर्शन को कोविड -19 महामारी एवं कमर्शियल वाहन बाजार में उपस्थित हुई चुनौतियां प्रभावित कर रही हैं। कच्चे माल की कीमतों में तेज वृद्धि और सभी जगह पैदा हुई सेमीकंडक्टर्स की कमी ने कमर्शियल वाहन बाजार को पिछले साल कीमतों में बढ़ोतरी के लिए मजबूर किया था।
पिछले पांच वर्षों में कंपनी का राजस्व -1.76% की CAGR से बढ़ा है, जबकि कमर्शियल वाहन उद्योग का औसत 0.24% है। वर्तमान में, अशोक लीलैंड की भारत के कमर्शियल वाहन सेगमेंट में 67.17 % बाजार हिस्सेदारी है।
सितंबर (वित्त वर्ष 22 की दूसरी तिमाही) के लिए अशोक लीलैंड ने 84 करोड़ रुपये का समेकित शुद्ध घाटा दर्ज किया। इसने पिछले वर्ष की इसी तिमाही (वित्त वर्ष 2021 की दूसरी तिमाही) में 96 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा दर्ज किया था। वित्त वर्ष 2022 की दूसरी तिमाही में राजस्व 44% वार्षिक बढ़कर 5,562 करोड़ रुपये हो गया। इस बीच, EBITDA 576 करोड़ रुपये पर स्थिर रहा। कंपनी की बहीखातों में महत्वपूर्ण दीर्घकालिक और अल्पकालिक ऋण देनदारियां हैं।
अशोक लीलैंड फरवरी में अक्टूबर-दिसंबर तिमाही (Q3 FY22) के लिए अपने वित्तीय परिणामों की रिपोर्ट सार्वजनिक करेगा।
स्टॉक ट्रैकर
2014-2016 से एक महत्वपूर्ण रैली (लगभग 5x) के बाद, निसान मोटर कंपनी के साथ एक असफल जॉइंट वेंचर के कारण अशोक लीलैंड के शेयर गिर गए। साझेदारी में खटास तब आई जब जापानी वाहन निर्माता ने अपने एक जॉइंट वेंचर के लिए टर्मिनेशन नोटिस जारी किया। यह कदम कथित तौर पर अशोक लीलैंड द्वारा बिल भुगतान में देरी के कारण लिया गया था। इसके अलावा, दोनों फर्म अनुबंधों के कथित उल्लंघन के कारण कानूनी लड़ाई में लगी हुई थीं। भारतीय कमर्शियल वाहन निर्माता निसान को लगभग 200 करोड़ रुपये की रॉयल्टी का भुगतान करने में भी विफल रही।
अप्रैल 2018 में कंपनी के शेयरों ने ~165 रुपये के सर्वकालिक उच्च स्तर को छुआ। हालांकि, उस के बाद इसमें भारी गिरावट शुरू हुई। वैश्विक ऑटोमोबाइल उद्योग में खराब परिस्थितियों के कारण मध्यम और भारी शुल्क वाले कमर्शियल वाहन की बिक्री में तेजी से गिरावट शुरू हुई। कमोडिटी की बढ़ती कीमतों, ईंधन दक्षता और BSVI नियमों, ग्राहकों की अफोर्डेबिलिटी और कोविड -19 महामारी के कठोर प्रभावों ने अंततः अशोक लीलैंड के शेयरों को दो साल के भीतर 75% तक गिरा दिया।
अशोक लीलैंड के शेयर की कीमत फिलहाल 135.15 रुपये पर कारोबार कर रही है, जो 52 सप्ताह के उच्च स्तर से 11.95% कम है।
आगे का रास्ता
अशोक लीलैंड की भारत के मध्यम और भारी कमर्शियल वाहन सेगमेंट में लंबे समय से उपस्थिति है। इसका देश भर में अच्छा वितरण और सर्विस नेटवर्क है। हालांकि, बाजार की प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण कंपनी अपनी खोई हुई बाजार हिस्सेदारी वापस पाने के लिए हाथ-पांव मार रही है। उद्योग के विशेषज्ञों को उम्मीद है कि अशोक लीलैंड भारतीय कमर्शियल वाहन सेगमेंट में प्रत्याशित अपसाइकिल का प्रमुख लाभार्थी होगा।
कमर्शियल वाहन प्रमुख ने अपने उत्पाद पोर्टफोलियो को मजबूत करने के लिए वित्त वर्ष 22 के लिए 750 करोड़ रुपये का पूंजीगत व्यय (capital expenditure) तैयार किया था। हाल ही में, अशोक लीलैंड ने श्रीराम ऑटोमॉल के साथ साझेदारी के माध्यम से पुराने वाहनों के कारोबार में प्रवेश की घोषणा की। कंपनियां पुराने कमर्शियल वाहन के आदान-प्रदान, डिस्पोजल और खरीद की सुविधा के लिए एक भौतिक और डिजिटल प्लेटफॉर्म लॉन्च करेंगी।
कंपनी ने अपने इलेक्ट्रिक वाहन (EV) रोडमैप को तैयार किया है और दुनिया के शीर्ष 10 कमर्शियल वाहन ब्रांडों में से एक बनने का लक्ष्य भी रखा है। कंपनी के इलेक्ट्रिक वाहन पुश का नेतृत्व इसकी यूके स्थित सहायक, स्विच मोबिलिटी द्वारा किया जाएगा। इलेक्ट्रिक वाहन शाखा जल्द ही भारत में अपना पहला इलेक्ट्रिक लाइट कमर्शियल व्हीकल (e-LCV) लॉन्च करने की योजना बना रही है। अशोक लीलैंड ने अगले कुछ वर्षों में इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र में 15 से 20 करोड़ डॉलर का निवेश करने की भी योजना बनाई है। अनुमानों के आधार पर, वैश्विक इलेक्ट्रिक बस बाजार 2030 तक 70 अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना है। स्विच मोबिलिटी इस बाजार को संबोधित करने के लिए अच्छी तरह से तैनात होगी। हम सभी यह देखने के लिए तत्पर हैं कि, ऑटोमेकर अपनी रणनीतिक योजनाओं को कैसे एक्सीक्यूट करता है।
अशोक लीलैंड पर आपके क्या विचार हैं? क्या आपने इसमें निवेश किया है? हमें मार्केटफीड ऐप के कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं।
Post your comment
No comments to display