नेशनल लॉजिस्टिक पॉलिसी 2022
जैसा कि हम जानते हैं, लॉजिस्टिक्स सेक्टर किसी भी अर्थव्यवस्था में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय व्यापार की रीढ़ होता है। यह सभी महत्वपूर्ण उद्योगों को जोड़ता तथा अंतिम उपभोक्ता को वस्तुओं और सेवाओं की एक सुचारू आपूर्ति श्रृंखला प्रोवाइड करता है। लॉजिस्टिक्स सेक्टर में एफिशियंट ट्रांसपोर्ट सिस्टम, इन्वेंटरी मैनेजमेंट (वेयरहाउसिंग), डेटा का त्वरित और आसान फ्लो और रिलायबल कस्टमर सर्विस शामिल है।
कोविड -19 महामारी के शुरुआती फेज में, हमारे लॉजिस्टिक्स सेक्टर ने अपनी अलग पहुंच बनाई और सीमित संसाधनों के साथ आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं को वितरित किया। अब, भारत सरकार ने एक महत्वपूर्ण पॉलिसी पेश की है, जिसका उद्देश्य लॉजिस्टिक्स सेक्टर में जरूरी बदलाव लाना है।
17 सितंबर को, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स पॉलिसी (National Logistics Policy) 2022 की घोषणा की, जिसका उद्देश्य माल की आवाजाही को आसान बनाना और हमारी अर्थव्यवस्था में व्यापार क्षेत्र को बढ़ावा देना है। इस लेख में, हम भारतीय लॉजिस्टिक्स सेक्टर के सामने आने वाली वर्तमान चुनौतियां और उन्हें संबोधित करने के लिए इस नई पॉलिसी की योजना के बारे में जानेंगे।
लॉजिस्टिक्स सेक्टर की प्रमुख चुनौतियां
- सरकारी अनुमान के मुताबिक भारतीय लॉजिस्टिक्स बाजार 210 अरब डॉलर से ज्यादा का है। हालाँकि, यह सेक्टर अत्यधिक जटिल और अक्षम है क्योंकि इसका मैनेजमेंट करने वाला कोई एक डिपार्टमेंट नहीं है। इसमें 20 सरकारी एजेंसियां, 40 सरकारी साझेदार एजेंसियां, 36 लॉजिस्टिक्स सेवाएं, 129 अंतर्देशीय कंटेनर डिपो, 168 कंटेनर फ्रेट स्टेशन और कई अन्य बिचौलिए शामिल हैं। इसके चलते माल ट्रांसपोर्ट के लिए सभी कागजी कार्रवाई को पूरा करने में बहुत समय लगता है!
- वर्तमान में, यदि किसी उत्पाद को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने की लॉजिस्टिक लागत ₹100 है, तो लगभग ₹12 सीमा शुल्क, कागजी कार्रवाई, बीमा और प्रशासन लागतों के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। भारत में लॉजिस्टिक लागत सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का लगभग 13% है, जो कि अमेरिका, यूरोप और चीन की तुलना में अधिक है।
- उच्च लॉजिस्टिक लागत के कारण, भारत के निर्यात की प्रतिस्पर्धात्मकता गिर गई है। हमारे देश में खराब बुनियादी ढांचा, ईंधन की बढ़ती लागत और कानूनी जटिलताएं माल के ट्रांसपोर्ट को गंभीर रूप से प्रभावित कर रही हैं। लगातार देरी हो रही है, और हमारे मौजूदा नेटवर्क का कम उपयोग हो रहा है।
नेशनल लॉजिस्टिक पॉलिसी क्या है?
लगभग तीन वर्षों से, भारत सरकार लॉजिस्टिक्स सेक्टर में संस्थानों और हितधारकों की प्राथमिक चिंताओं को दूर करने के लिए एक पॉलिसी पर काम कर रही है। राष्ट्रीय लॉजिस्टिक पॉलिसी 2022 की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:
- घटाकर सकल घरेलू उत्पाद के लगभग 8% करना है।
- भारत सरकार कार्गो आवाजाही के लिए सड़क परिवहन पर देश की निर्भरता को कम करने के लिए एक रोडमैप तैयार करेगी। यह रेलवे, शिपिंग और हवाई परिवहन जैसे अधिक विकल्पों का पता लगाएगा। सरकार की योजना देश भर में रणनीतिक रूप से लॉजिस्टिक्स पार्क/हब स्थापित करने की भी है।
- सरकार लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में डिजिटल परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित करेगी और इसे ग्लोबल स्टैंडर्ड के अनुरूप लाएगी। नई पॉलिसी की चार ख़ास विशेषताएं हैं: डिजिटल सिस्टम का एकीकरण (IDS), यूनिफाइड लॉजिस्टिक्स इंटरफेस प्लेटफॉर्म (ULIP), लॉजिस्टिक्स की आसानी (ELOG), और सिस्टम इम्प्रूवमेंट ग्रुप (SIG)।
- IDS के तहत, सड़क परिवहन, रेलवे, सीमा शुल्क(customs), एविएशन और वाणिज्य विभागों के डेटा को एक प्लेटफार्म में एकीकृत किया जाएगा।
- ULIP परिवहन क्षेत्र से संबंधित सभी डिजिटल सेवाओं को एक ही पोर्टल में लाएगा।
- उद्योग संघ सरकार से संपर्क करके मुद्दों को हल करने के लिए ELOG का उपयोग कर सकते हैं।
इस प्रकार, भारतीय लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में शामिल सभी प्रमुख संस्थाएं वास्तविक समय की गतिविधियों को ट्रैक कर सकती हैं, दस्तावेजों को डिजिटल रूप से एक्सेस कर सकती हैं और मूल्यवान समय बचा सकती हैं।
आगे का रास्ता
नेशनल लॉजिस्टिक पॉलिसी का उद्देश्य मौजूदा प्रक्रियाओं पर काम करके लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में सभी बाधाओं और विसंगतियों को दूर करना है। सरकार का दृष्टिकोण त्वरित विकास के लिए तकनीकी रूप से सक्षम, लागत-कुशल, टिकाऊ और विश्वसनीय लॉजिस्टिक्स इकोसिस्टम विकसित करना है। लॉजिस्टिक लागत में गिरावट से घरेलू और निर्यात बाजारों में भारतीय वस्तुओं की प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार होगा।
हालाँकि, अभी एक लंबा रास्ता तय करना है। हमारा लॉजिस्टिक्स सेक्टर रोडवेज पर काफी हद तक निर्भर है। महत्वाकांक्षी भारतमाला परियोजना 2015 में शुरू की गई थी, ताकि फाइनेंशियल ईयर 2022 तक हमारे देश में एक विशाल राजमार्ग नेटवर्क विकसित किया जा सके। अफसोस की बात है, कि परियोजना अब छह साल की देरी का सामना कर रही है, और कच्चे माल की लागत बढ़ रही है। सड़कों और बंदरगाहों के बीच संपर्क एक और महत्वपूर्ण मुद्दा है। हमारे पास माल ट्रांसपोर्ट के लिए एक समर्पित रेल गलियारा नहीं है, भले ही यह माल परिवहन का सबसे सस्ता तरीका है।
हम देख सकते हैं, कि लॉजिस्टिक्स कंपनियां अब अपने मौजूदा नेटवर्क का विस्तार करने और अपनी क्षमता बढ़ाने की कोशिश कर रही हैं। भारतीय लॉजिस्टिक्स उद्योग में सबसे प्रमुख सूचीबद्ध फर्मों में Blue Dart, Container Corporation of India, VRL Logistics, Allcargo Logistics, Navkar Corp, Aegis Logistics, Mahindra Logistics और TCI Express शामिल हैं। निकट भविष्य में इन सभी कंपनियों और राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स पॉलिसी में आगे के विकास पर कड़ी नजर रखें!
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